अब इस दृष्य को देखकर खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, जब राजधानी में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के हाल हैं तो छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हलात क्या होंगे? ये दृश्य जितना दर्दनाक है, उतना ही हमारे सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोल रहा है। क्योंकि, प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के सेवा कर्मियों और और चिकित्सकीय व्यवस्थाओं को लेकर लगातार जिम्मेदर बड़े बड़े दावे करते रहते हैं। लेकिन, इतना स्टाफ होने के दावे के बावजूद परिजन को खुद ही अपने मरीज के जीवन की जद्दोजहद करनी पड़ रही है।
ये वीडियो हुआ वायरल..
वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि, मरीज खुले आसमान के नीचे, बिना किसी स्वास्थ्यकर्मी की मदद के एक वार्ड से दूसरे वार्ड तक ले जाया जा रहा है, मानो ये कोई हॉस्पिटल नहीं, बल्कि कोई प्रैक्टिकल मज़ाक हो। वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर गुस्से की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग इसे ‘भोपाल की ओपन एयर थेरेपी’ बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर बवाल, सरकार सवालों के घेरे में
सोशल मीडिया पर सबसे पहले इस वीडियो को शेयर करने वाले शख्स ने व्यंग्य में कहा कि, ‘ऐसी हेल्थ फैसिलिटी सिर्फ भोपाल में मिलती है, जहां मरीज खुले में हवा खा सकता है। ट्रॉली की सैर कर सकता है और पैसों की बचत भी कर सकता है।’ लेकिन मज़ाक के पीछे जो सच्चाई छिपी है, वे हमारे स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर विफलता को उजागर करती है।
गरमाई प्रदेश की राजनीति
मामला गर्माया तो विपक्ष भी सरकार पर टूट पड़ा। कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेंद्र पटेल ता तगना है कि, अगर राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल में ये हाल है तो बाकी प्रदेश की स्थिति कल्पना से भी परे है। उन्होंने सरकार से तत्काल जांच और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।