Pandukhor Shiva Temple: Pandukhor temple of Mahabharata

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शाजापुर: Pandukhor Shiva Temple: मध्य प्रदेश के शाजापुर ज़िले में स्थित प्राचीन पाण्डुखोर (पांडूखो) का शिव मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है। मान्यता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस गुफा में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी। इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है।

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Pandukhor Shiva Temple: शाजापुर ज़िला मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर स्थित इस गुफा में अज्ञातवास के समय पांडवों ने कुछ दिन प्रवास किया था। इसी दौरान उन्होंने शिवलिंग की स्थापना भी की थी। इसके प्रमाण आज भी गुफा रूपी इस मंदिर में देखे जा सकते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर और शिवलिंग की अत्यंत महिमा है। सावन के महीने में यहाँ हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। भक्त भोले बाबा के समक्ष मनौतियाँ माँगते हैं और पूर्ण होने पर कांवड़ चढ़ाकर कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

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Pandukhor Shiva Temple: इस मंदिर की प्राचीनता से जुड़ी अनेक कथाएँ क्षेत्र में प्रचलित हैं। शिवपुराण सहित कई अन्य ग्रंथों में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि यह स्थान पहले पांडुखोरा नाम से जाना जाता था। महाभारत काल के दौरान यहाँ एक छोटी सी गुफा हुआ करती थी जहाँ पांडवों ने शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु तपस्या की थी।

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Pandukhor Shiva Temple: घने वृक्षों के बीच स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। इसके पास से बहती एक नदी इसकी शोभा को और भी बढ़ा देती है। दूर-दूर से लोग यहाँ शिवजी से मन्नतें माँगने आते हैं। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से इस गुफा में बैठकर भगवान शिव से अपनी प्रार्थना करता है उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

पांडुखोर शिव मंदिर कहाँ स्थित है?

“पांडुखोर शिव मंदिर कहाँ है” यह प्रश्न अक्सर पूछा जाता है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के शाजापुर ज़िले में, ज़िला मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पांडुखोर शिव मंदिर का इतिहास क्या है?

“पांडुखोर शिव मंदिर का इतिहास” काफी पुराना है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहाँ शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की पूजा की थी।

पांडुखोर मंदिर कब जाना चाहिए?

“पांडुखोर शिव मंदिर कब जाएं” का उत्तर है – सावन के महीने में यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके अलावा महाशिवरात्रि और श्रावण सोमवार भी यात्रा के उत्तम समय होते हैं।

क्या पांडुखोर मंदिर तक सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है?

हाँ, “पांडुखोर मंदिर तक कैसे पहुँचे” पूछने वालों को बता दें कि यह स्थान शाजापुर से केवल 3 किलोमीटर दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

क्या पांडुखोर मंदिर में रुकने की व्यवस्था है?

फिलहाल “पांडुखोर मंदिर में रुकने की सुविधा” सीमित है। श्रद्धालु आमतौर पर शाजापुर शहर में होटल या धर्मशाला में रुकते हैं और फिर मंदिर तक यात्रा करते हैं।

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