हर फिल्म के साथ खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करता हूं: अभिषेक बच्चन |

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ब्रजेन्द्र नाथ सिंह

भोपाल, 26 जून (भाषा) अभिनेता अभिषेक बच्चन का कहना है कि हर कलाकार का ‘लेटेस्ट’ (हाल का) काम उसका ‘बेस्ट’ (सर्वश्रेष्ठ) होना चाहिए और इसी का अनुसरण करते हुए वह कोशिश करते हैं कि हर फिल्म के साथ खुद को बेहतर बनाते चलें।

‘युवा’, ‘गुरु’ और ‘धूम’ सहित कई अन्य फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के लिए प्रशंसा बटोर चुके अभिषेक बच्चन ने यह भी कहा कि 10 वर्ष पहले और अभी के अभिनय में अंतर ना हो तथा उसमें और सुधार ना आए तो यह ‘दुख’ की बात होगी।

अपनी आने वाली फिल्म ‘कालीधर लापता’ के प्रचार के सिलसिले में भोपाल आए अभिषेक ने ‘पीटीआई-वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कलाकार का जो ‘लेटेस्ट’ काम हो, वह उसका बेस्ट होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो काम मैंने 10 वर्ष पहले किया हो और आज जो काम कर रहा हूं, उसमें अगर अंतर ना हो या उसमें बेहतर नहीं कर पाऊं तो यह (मेरे लिये) दुख की बात होगी। इसलिए मैं कोशिश में रहता हूं कि हर फिल्म के साथ अपने आप को थोड़ा बेहतर करता जाऊं।’’

अभिषेक बच्चन अभिनीत ‘कालीधर लापता’ फिल्म चार जुलाई को ओटीटी मंच ‘जी5’ पर प्रदर्शित होने वाली है।

इस फिल्म का निर्देशन दक्षिण भारतीय फिल्मों की निर्देशक मधुमिता ने किया है, जिन्होंने तमिल भाषा की फिल्म केडी (करुप्पूदुरई) बनाई थी।

फिल्म में भोपाल के रहने वाले बाल कलाकार दैविक बाघेला ने भी महत्वपूर्ण किरदार निभाया है।

अभिषेक बच्चन से जब यह पूछा गया कि ‘कालीधर लापता’ में ऐसा क्या है कि जिसके लिए दर्शक यह फिल्म देखेंगे, उन्होंने कहा कि जब भी उनसे यह सवाल पूछा जाता है तो वह इसका जवाब नहीं दे पाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि अगर मुझे फिल्म बनाने के बाद आपको यह बताना पड़े कि आप इस फिल्म को क्यों देखें तो कहीं ना कहीं हमारे काम में कमी है। अगर फिल्म का ‘प्रोमो’ देखकर आपको लगे कि यह फिल्म अच्छी नहीं बनी है तो मत देखिए।’’

अभिषेक ने कहा, ‘‘लेकिन हमारा काम कहानी को दिखाना है। आप अगर प्रोमो देखें तो यह आपको मजेदार लगेगा। बहुत ही प्यारी फिल्म है। यह दो दोस्तों के बारे में है। एक बल्लू और काली के बारे में।’’

फिल्म में दैविक बाघेला ने बल्लू का किरदार निभाया है।

‘कालीधर लापता’ में अभिषेक बच्चन ने कालीधर नाम के एक मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति का अभिनय किया है, जिसकी याददाश्त कमजोर है और जिसने जिंदगी में बहुत धोखे खाए।

वर्ष 2000 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘रिफ्यूजी’ से अपने सिनेमाई सफर की शुरुआत करने वाले अभिषेक बच्चन से जब फिल्मों से हासिल उनके अनुभवों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह अपनी हर फिल्म से कुछ न कुछ सीखने का प्रयास करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जो भी फिल्म करूं कोशिश यही होती है कि जब उसकी शूटिंग खत्म हो जाए तो उस किरदार का थोड़ा बहुत गुण अपने साथ रह जाए।’’

अभिषेक की हालिया फिल्म ‘हाउसफुल 5’ छह जून को रिलीज हुई थी, जिसमें अक्षय कुमार, रितेश देशमुख और अन्य कलाकार भी हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने ‘कालीधर लापता’ में अपने पिता अमिताभ बच्चन के अभिनय की अनुसरण करने का प्रयास किया, जिसपर अभिषेक ने कहा, ‘‘नहीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि मेरे निर्देशक ने मुझे ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था। किरदार उनका (अमिताभ) नहीं, मेरा है… इसलिए।’’

अभिषेक बच्चन ने मध्यप्रदेश में फिल्म की शूटिंग के अपने अनुभवों को ‘बहुत ही अच्छा’ बताया और कहा कि यहां की सारी व्यवस्थाएं भी शानदार थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई जाकर दोस्तों को बताऊंगा कि मुंबई से बाहर अगर आपको कहीं शूटिंग करनी है तो आप मध्यप्रदेश में शूटिंग करें। बहुत ही अच्छा है।’’

मध्यप्रदेश के भोपाल में अभिषेक बच्चन का ननिहाल है।

उनकी मां जया बच्चन भोपाल की ही हैं और आज भी उनके परिजन यहां रहते हैं।

अभिषेक ने कहा, ‘‘यहां आकर हमेशा अच्छा लगता है क्योंकि काम खत्म करने के बाद नानी के साथ समय बिता सकते हैं।’’

अभिषेक बच्चन ने फिल्म में अभिनय के लिए दैविक की सराहना की और कहा कि वह बहुत ही अच्छे कलाकार हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘उनसे (दैविक से ) काफी कुछ सीखने को मिला। प्रार्थना करूंगा कि आगे जाकर उनके साथ एक और फिल्म बनाऊं अगर वह आज्ञा दें तो।’’

दैविक ने कहा कि यह उनकी पहली फिल्म है और इससे पहले तक वह थियेटर में ही सक्रिय थे।

उन्होंने कहा कि अभिषेक बच्चन जैसे कलाकार और मधुमिता जैसे निर्देशक के साथ काम करके उन्हें बहुत अच्छा अनुभव हासिल हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ने मुझे बहुत अच्छे से सिखाया कि कैसे अभिनय करना है। पहले मैं थिएटर करता था और थियेटर व फिल्म की अदाकारी अलग-अलग होती है। इस फिल्म में काम करके मुझे पता चला कि सिनेमा में कैसे अभिनय किया जाता है।’’

निर्देशक मधुमिता ने ‘पीटीआई वीडियो’ से बातचीत में कहा कि इस फिल्म में ‘दोस्ती’ एक महत्वपूर्ण पक्ष है क्योंकि जीवन के हर मोड़ में दोस्तों की जरूरत महसूस होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस फिल्म में कालीधर को बल्लू मिल गया। वह जितनी भी मुश्किलों में होता है, उसके जीवन में बल्लू आता है तो उसकी जिंदगी में खुशी आ जाती है। बल्लू से मिलने के बाद कालीधर की जिंदगी में बहुत बदलाव आता है।’’

मधुमिता ने कहा कि अगर लोग इस फिल्म को देखकर पांच मिनट के लिए भी खुशी महसूस करते हैं तो यह फिल्म बनाने का उनका उद्देश्य पूरा हो जाएगा।

भाषा ब्रजेन्द्र जितेंद्र रंजन

रंजन

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