भोपाल: MP Politics हर साल मध्यप्रदेश में खाद की संकट जरूर होती है। किसान यूं ही परेशान होते हैं। विपक्ष सरकार को घेरता है और सरकार प्रशासन का वही रटारटाया जवाब कि खाद की संकट तो है ही नहीं। जबलपुर पहुंचे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने तो सीधे ही सरकार से ये पूछ लिया कि क्या सरकार खाद की कालाबाजारी करवाना चाहती है।
MP Politics कांग्रेस ने खाद के बहाने सरकार पर आरोपो की झडी लगाई तो खुद सीएम ने मोर्चा संभाला। उन्होनें कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि खाद का संकट नहीं बल्कि कांग्रेस में संकट है। कांग्रेस के नेताओं के पास मुद्दों का भी संकट है।
हर बार की तरह, हर साल की तरह फिर से खाद के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। पूछ रहा है कि आखिर समय रहते सरकार खाद की व्यवस्था क्यों नहीं कराती? लेकिन सरकार और प्रशासन के नुमाइंदे यही कहते हैं कि सब ठीक है। किल्लत है ही नहीं, लेकिन जब किल्लत नहीं है तो फिर आखिर ये किसान आधी रात से ही लाइनों में क्यों खड़े होने मजबूर होते हैं। आखिर क्यों थाने से पर्ची बांटना पड़ता है? बड़ी बात ये भी है कि पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हो या वर्तमान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान हो। सबका मध्यप्रदेश के खास रिश्ता है, लेकिन यदि फिर भी किसानों को हर फसल के दौरान खाद के संकट का मुद्दा उठता है तो सवाल तो पूछे ही जाएंगे।
“खाद संकट मध्यप्रदेश” में हर साल क्यों होता है?
हर फसल के समय मांग बढ़ने पर समय पर आपूर्ति ना होना, वितरण में गड़बड़ी और अनियोजित स्टॉक सबसे बड़ी वजह मानी जाती है।
क्या “खाद संकट मध्यप्रदेश” में कालाबाजारी होती है?
विपक्ष का आरोप है कि कालाबाजारी प्रशासन की मिलीभगत से होती है, लेकिन सरकार इसे नकारती रही है।
किसान “खाद संकट मध्यप्रदेश” के दौरान कैसे जूझते हैं?
किसानों को रातभर लाइन में लगना पड़ता है, कई जगह थानों से पर्ची लेकर खाद मिलती है, जिससे उनकी मेहनत और समय दोनों बर्बाद होते हैं।