जबलपुर: Jabalpur Conversion Case: आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन आकांक्षा अरोरा ने जबरन धर्मांतरण का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने अपने पति, सास-ससुर और जबलपुर शहर के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल के संचालक अखिलेश मेबन, तनय मेबन और मीनू मेबन के खिलाफ धर्मांतरण कराने की एफआईआर दर्ज करवाई है।
Jabalpur Conversion Case: महिला थाना पुलिस ने आकांक्षा अरोरा की शिकायत पर उनके पति तनय मेबन, ससुर अखिलेश मेबन और सास मीनू मेबन के खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आकांक्षा अरोरा का आरोप है कि उन्हें शादी से पहले जबरन हिंदू से ईसाई धर्म में परिवर्तित किया गया। शिकायत के अनुसार आकांक्षा की शादी वर्ष 2017 में निजी स्कूल संचालक अखिलेश मेबन के आर्मी ऑफिसर बेटे तनय मेबन से हुई थी। आरोप है कि शादी से पहले ही ससुराल पक्ष ने उनका धर्मांतरण करवा दिया था।
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Jabalpur Conversion Case: शिकायत में यह भी कहा गया है कि शादी के बाद आकांक्षा को लगातार प्रताड़ित किया गया और वर्ष 2020 में उन्हें घर से निकाल दिया गया। वर्तमान में वे अपने मायके में रह रही हैं। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। गौरतलब है कि अखिलेश मेबन वही निजी स्कूल संचालक हैं जिन्हें हाल ही में भगवान श्रीराम पर विवादित टिप्पणी के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वे कुछ दिन पहले ही जमानत पर जेल से रिहा हुए हैं।
“आकांक्षा अरोरा धर्मांतरण मामला” क्या है?
यह मामला जबलपुर की रिटायर्ड आर्मी कैप्टन आकांक्षा अरोरा द्वारा पति और ससुराल पक्ष पर जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने और प्रताड़ना का आरोप लगाए जाने से जुड़ा है।
“धर्मांतरण का आरोप” किन लोगों पर लगा है?
आकांक्षा ने अपने पति तनय मेबन, ससुर अखिलेश मेबन और सास मीनू मेबन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है।
क्या “अखिलेश मेबन” पहले भी किसी विवाद में शामिल रहे हैं?
जी हाँ, अखिलेश मेबन हाल ही में भगवान श्रीराम पर विवादित टिप्पणी के मामले में गिरफ्तार किए गए थे और फिलहाल जमानत पर रिहा हुए हैं।
“आकांक्षा अरोरा अभी कहां रह रही हैं?”
उन्होंने बताया कि उन्हें वर्ष 2020 में घर से निकाल दिया गया, और वे फिलहाल अपने मायके में रह रही हैं।
क्या “मामले में पुलिस कार्रवाई” हो चुकी है?
जी हाँ, पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत मामले की जांच जारी है।