इंदौर, 29 जून (भाषा) मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कैलाश मकवाना ने रविवार को दावा किया कि सूबे में केवल एक जिले में सीमित नक्सल समस्या भी अब खात्मे की ओर है और राज्य पुलिस ने पिछले छह महीने के भीतर मुठभेड़ों में 10 नक्सलियों का सफाया करके बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
केंद्र सरकार ने देश भर में नक्सलवाद को मार्च 2026 तक पूरी तरह समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है।
मकवाना ने इंदौर जोन के पुलिस अधिकारियों की बैठक के दौरान संवाददाताओं को बताया,‘‘नक्सल समस्या कई वर्षों से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। हालांकि, मध्यप्रदेश में मोटे तौर पर नक्सल समस्या से केवल बालाघाट जिला प्रभावित है।’’
उन्होंने बताया कि प्रदेश पुलिस ने पिछले छह महीने के दौरान मुठभेड़ों में 10 नक्सलियों का खात्मा किया है और यह एक ‘रिकॉर्ड’ है।
मकवाना ने कहा,‘‘हमारे अनुमान के मुताबिक फिलहाल प्रदेश में 40-45 नक्सली होंगे। हम नक्सल समस्या के उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मानसून में भी हमारा नक्सल विरोधी अभियान जारी रहेगा।’’
उन्होंने बताया कि सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव की अगुवाई में हर महीने बैठक लेकर नक्सल विरोधी अभियान की समीक्षा की जा रही है और नक्सल समस्या के खात्मे के लिए पुलिस की विशेष इकाई ‘हॉक फोर्स’ के 325 नये पद स्वीकृत किए गए हैं।
बहुचर्चित राजा रघुवंशी हत्याकांड की मुख्य आरोपी सोनम पड़ोसी उत्तर प्रदेश में गिरफ्तारी से पहले अपने गृहनगर इंदौर के एक फ्लैट में कई दिन तक छिपी थी। इससे स्थानीय पुलिस के खुफिया तंत्र पर सवाल उठ रहे हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर डीजीपी ने कहा,‘‘इंदौर बड़ा शहर है। व्यावहारिक रूप से पता लगाना काफी मुश्किल है कि शहर में कोई व्यक्ति अचानक कहां से आकर रात-बिरात कहां रुका। हालांकि, पुलिस को किसी व्यक्ति के बारे में कोई विशिष्ट सुराग या सूचना मिलती है, तो हम इस बारे में पता करने की कोशिश करते हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘कई बार आप इस पर भी नजर नहीं रख पाते कि आपके खुद के घर के एक हिस्से में रहने वाले किरायेदार से मिलने कौन आ रहा है और कौन जा रहा है, तो इतने बड़े शहर पर नजर रखना कैसे संभव है?’’
मकवाना ने माना कि सूबे के पुलिस विभाग में बड़ी तादाद में पद खाली पड़े हैं।
उन्होंने बताया,‘‘पूरे प्रदेश में करीब 25,000 का पुलिस बल स्वीकृत है। इनमें अलग-अलग वर्गों के खाली पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। पुलिस अधिकारियों की समयबद्ध पदोन्नति की प्रक्रिया भी जारी है।’’
भाषा हर्ष नोमान
नोमान