भोपाल : Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: पानी की हर बूंद को सहेजने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जल गंगा संवर्धन अभियान का समापन और वॉटरशेड सम्मेलन सोमवार 30 जून को खंडवा में होगा। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअल शामिल होंगे और कार्यक्रम को संबोधित भी करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कार्यक्रम में 1518 करोड़ रुपये से अधिक के जल संरक्षण कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे।
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर मध्यप्रदेश में 3 माह के लिए ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ चलाया गया। इस दौरान जल स्त्रोतों के संरक्षण और संवर्धन पर लगातार कार्य किया गया। सोमवार को अभियान के समापन कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत 578.08 करोड़ रुपये की लागत से कराए गए 57 हजार 207 जल संरक्षण कार्य, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना वॉटरशेड विकास के अंतर्गत 63.46 करोड़ रुपये की लागत से 888 जल संरक्षण के कार्य, वॉटरशेड परियोजनाओं के कार्यों के प्रबंधन और अनुश्रवण के लिए वॉटरशेड वर्क मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का लोकार्पण किया जाएगा।
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: मुख्यमंत्री डॉ. यादव जल संसाधन विभाग की 4 सिंचाई परियोजनाओं क्रमश: भाम राजगढ़ मध्यम सिंचाई परियोजना, बिहार सारोला बैराज, लाजैरा बैराज, हापला दीपला बैराज लघु सिंचाई परियोजना का लोकार्पण करेंगे। इन परियोजनाओं की लागत करीब 312.77 करोड़ रुपये है, जिससे 8557 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। इससे 21 ग्रामों के 7260 किसान लाभांवित होंगे। नर्मदा घाटी विकास विभाग की जावर माईक्रो उद्वहन सिंचाई योजना प्रशासकीय स्वीकृति रुपए 563.72 करोड़ का लोकार्पण भी किया जाएगा। योजना से खण्डवा जिले के 52 ग्रामों के 21,666 किसानों की करीब 26 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी। कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान में अमृत 2.0 योजना अंतर्गत 50 करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार की गई 74 जल संग्रहण संरचनाओं का लोकार्पण किया जाएगा।
30 मार्च से शुरू हुआ था अभियान
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में बारिश की हर बूंद सहेजने, पुराने जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार करने और जल संरक्षण के लिए नई संरचनाओं का निर्माण करने के लिए 90 दिनों तक जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया गया। अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन से की थी। अब 90 दिन तक चलने वाले इस अभियान का प्रदेश में असर भी दिखाई देने लगा है। स्थिति यह है कि प्रदेश में वर्षा जल के संचयन के लिए 90 दिन में 84 हजार 930 खेत-तालाब बनाए गए हैं। प्रदेश में 77 हजार 940 खेत तालाब बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया। इसमें लक्ष्य से करीब 7 हजार अधिक खेत तालाब बनाए जा रहे हैं। इसमें से कई खेत-तालाबों का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है। इसी तरह से प्रदेश के सभी जिलों में 1 हजार 283 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं, जिनका निर्माण कार्य भी जारी है। प्रदेश में तीन माह तक चलने वाले जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत 20 हजार 955 पुराने कार्य पूरे किए गए।
रिचार्ज पिट से कुओं को मिल रहा नया जीवन
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: अभियान से सिंचाई और पीने के पानी के लिए बनाए गए अधिकांश कुओं का जलस्तर भी बढ़ गया है। ऐसे में कुओं को जीवन देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 1 लाख 3 हजार से अधिक रिचार्ज पिट बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया था। वर्तमान में निर्धारित लक्ष्य से अधिक 1, 04, 294 कुओं में रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं।
मानसून की पहली ही बारिश में भरने लगे खेत तालाब, दिखने लगा सुखद परिणाम
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: प्रदेश में पहली बार जल गंगा संवर्धन अभियान में तकनीक के साथ बनाए गए खेत तालाब, कूप रिचार्ज पिट और अमृत सरोवर का सुखद परिणाम भी दिखने लगा है। मानसून की पहली ही बारिश में खेत तालाबों में पानी भरना शुरू हो गया है। इसके साथ ही कुएं भी रिचार्ज होने लगे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में खेत तालाब, अमृत सरोवर और रिचार्ज पिट बनाने में मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। प्लानर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्ययोजना तैयार की गई, इसके बाद सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से जगह का चिन्हांकन गया। पानी का बहाव किस तरफ है, इसका वैज्ञानिक पद्धति से पता लगाया गया। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन माह में इतनी बड़ी संख्या में खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है।
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जल गंगा संवर्धन अभियान में प्रदेश के टॉप 10 जिले
Jal Ganga Samvardhan Abhiyan: प्रदेश में 30 मार्च से 30 जून तक चलने वाले जल गंगा संवर्धन अभियान में जल स्रोंतों के संरक्षण के लिए नवाचार किए गए। अभियान के दौरान मनरेगा योजना के अंतर्गत खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट बनाने वाले प्रदेश के टॉप 10 जिलों में खंडवा, बालाघाट, रायसेन, उज्जैन, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, राजगढ़, अशोकनगर, बैतूल और मंडला शामिल हैं।
“जल गंगा संवर्धन अभियान” क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
“जल गंगा संवर्धन अभियान” मध्यप्रदेश सरकार द्वारा चलाया गया 90 दिवसीय अभियान है, जिसका उद्देश्य बारिश की हर बूंद को सहेजना, पुराने जल स्रोतों का पुनरुद्धार करना और जल संरक्षण के लिए नई संरचनाएं बनाना है।
“जल गंगा संवर्धन अभियान” की शुरुआत कब और कहाँ से हुई थी?
यह अभियान 30 मार्च को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा उज्जैन (बाबा महाकाल की नगरी) से शुरू किया गया था।
“जल गंगा संवर्धन अभियान” के अंतर्गत कौन-कौन से कार्य किए गए?
इस अभियान में खेत-तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण, पुराने जल स्रोतों का जीर्णोद्धार, सिंचाई परियोजनाओं का लोकार्पण और जल संरचनाओं की वैज्ञानिक योजना तैयार की गई।
“जल गंगा संवर्धन अभियान” में टॉप प्रदर्शन करने वाले जिले कौन-से हैं?
इस अभियान में खंडवा, बालाघाट, रायसेन, उज्जैन, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, राजगढ़, अशोकनगर, बैतूल और मंडला जिले टॉप 10 में शामिल हैं।
“जल गंगा संवर्धन अभियान” में किस तकनीक का उपयोग किया गया?
इस अभियान में प्लानर और सिपरी सॉफ्टवेयर का उपयोग करके वैज्ञानिक पद्धति से जगह का चयन और जल संरचनाओं की योजना बनाई गई।