इंदौर, 30 जून (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग के इंदौर-देवास खंड पर हाल ही में लगे भीषण यातायात जाम को लेकर दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से सोमवार को जवाब तलब किया।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी ने देवास के वकील आनंद अधिकारी की याचिका पर केंद्र सरकार और एनएचएआई के साथ ही इंदौर के प्रशासन और पुलिस को भी नोटिस जारी किया।
युगल पीठ ने प्रतिवादियों को हफ्ते भर में नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंदौर और देवास के बीच सड़क निर्माण कर रही एक निजी कम्पनी को प्रतिवादियों की सूची में शामिल करने का निर्देश भी दिया।
अदालत ने कहा कि राजमार्ग के इंदौर-देवास खंड पर भारी वाहनों के लिए मार्ग परिवर्तन की अंतरिम व्यवस्था फिलहाल जारी रखी जाए।
याचिकाकर्ता के वकील गिरीश पटवर्धन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि इंदौर और देवास के बीच पिछले बुधवार से शुक्रवार के बीच करीब 50 घंटे तक भीषण जाम लगा रहा था जिसमें हजारों वाहन फंसे गए थे और जनता को भारी असुविधा हुई थी।
पटवर्धन ने बताया कि इन हालात के मद्देनजर जनहित याचिका में गुहार की गई है कि बेहद व्यस्त इंदौर-देवास खंड पर सड़क निर्माण का काम उच्च न्यायालय की निगरानी में किया जाए ताकि प्रतिवादियों की जवाबदेही तय की जा सके।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे भीषण जाम को लेकर लोगों ने खासा आक्रोश जताया था जिसके बाद पुलिस और प्रशासन ने मोर्चा संभालते हुए इंदौर और देवास के बीच यातायात के हालात सुधारे थे।
इंदौर के बिजलपुर क्षेत्र के रहने वाले विजय पांचाल ने दावा किया था कि भीषण जाम में उनकी कार फंसने के दौरान उनके पिता कमल पांचाल (65) की दिल के दौरे से मौत हो गई थी।
भाषा हर्ष जितेंद्र
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