CJI Housing Dispute: जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताईं निजी मजबूरियां, कहा- 'कुछ दिनों में छोड़ दूंगा बंगला'

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सुप्रीम कोर्ट प्रशासन द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास को खाली करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखे जाने के बाद, पूर्व CJI जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने बंगले में लंबे समय तक रहने के पीछे अपनी निजी मजबूरियों का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि देरी उनके परिवार की जरूरतों के कारण हुई है, क्योंकि उनकी दो बेटियां विशेष आवश्यकताओं वाली हैं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया, ‘मेरी बेटियों को गंभीर बीमारियां और आनुवंशिक समस्याएं हैं – खासकर ‘नेमालाइन मायोपैथी’, जिसके लिए उनका इलाज एम्स के विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के लिए उपयुक्त घर खोजने में समय लग रहा है, हालांकि उन्होंने माना कि यह एक व्यक्तिगत मुद्दा है। चंद्रचूड़ ने यह भी साफ किया कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों और अधिकारियों के साथ पहले ही चर्चा की जा चुकी है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सर्वोच्च न्यायिक पद पर आसीन होने के कारण उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का पूरा एहसास है, और उन्होंने आश्वासन दिया कि वे कुछ दिनों में बंगला छोड़ देंगे। चंद्रचूड़ ने यह भी बताया, ‘निश्चित रूप से, अतीत में भी पूर्व CJI को रिटायरमेंट के बाद सरकारी आवास बनाए रखने के लिए ज़्यादा समय दिया गया है, अक्सर यह बदलाव को आसान बनाने या व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए होता है।’
 

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केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का पत्र
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि लुटियंस दिल्ली में कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 5 (जो वर्तमान CJI के लिए तय है) को तुरंत खाली किया जाए।
बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ आठ महीने पहले ही CJI का पद छोड़ चुके हैं, लेकिन वह अभी भी टाइप VIII के इस बंगले में रह रहे हैं। उनके दो उत्तराधिकारी – जस्टिस संजीव खन्ना और मौजूदा CJI भूषण आर गवई – पहले से आवंटित अपने बंगलों में ही रहना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पत्र के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ ने 18 दिसंबर, 2024 को तत्कालीन CJI खन्ना को एक पत्र लिखकर बंगले में 30 अप्रैल, 2025 तक रहने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। उन्होंने अनुरोध के पीछे तुगलक रोड पर अपने नए मिले बंगले नंबर 14 में प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों (GRAP-IV) के कारण रुके हुए मरम्मत कार्य का हवाला दिया था।
तत्कालीन CJI खन्ना ने इस अनुरोध को मंजूरी दे दी थी, और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 5,430 रुपये प्रति माह लाइसेंस शुल्क बनाए रखने की अनुमति दी थी। इसके बाद, चंद्रचूड़ ने 31 मई, 2025 तक बंगले में रहने के लिए मौखिक अनुरोध किया था, जिसे इस शर्त के साथ अनुमति दी गई थी कि आगे कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा।



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