देवो के देव महादेव की विशेष कृपा वाले दिन महाशिवरात्रि के पर्व को नेपाल और बांग्लादेश में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इन दोनों देशों में महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर विशेष मान्यताएं भी हैं।
इसलिए आज आपको इन दोनों देशों में महाशिवरात्रि केनए जाने पर्व व मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं। ये जानकारियां विक्कीपीडिया के अनुसार हैं।
नेपाल: विश्व प्रसिद्ध पशुपति नाथ में महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि के महापर्व को नेपाल में और खासकर काठमांडू के पशुपति नाथ मंदिर में व्यापक रूप से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर पशुपतिनाथ मन्दिर में भक्तजनों की खूब भीड़ लगती है। इस दैरान यहाँ सिर्फ लोकल के ही नहीं, बल्कि भारत समेत विश्व के विभिन्न स्थानों से जोगी और भक्तों का तांता लगा रहता है।
नेपाल: विवाहित व अविवाहित महिलाओं से जुड़ी परंपरा
‘शिव’ यानि, जिनसे योग परंपरा की शुरुआत मानी जाती है उन्हें आदि (प्रथम) गुरु माना जाता है। इस परंपरा के अनुसार, इस रात को ग्रहों की स्थिति ऐसी होती है जिससे मानव प्रणाली में ऊर्जा की एक शक्तिशाली प्राकृतिक लहर बहती है। इसे भौतिक और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है इसलिए इस रात जागरण की सलाह भी दी गयी है जिसमें शास्त्रीय संगीत और नृत्य के विभिन्न रूप में प्रशिक्षित विभिन्न क्षेत्रों से कलाकारों पूरी रात प्रदर्शन करते हैं। शिवरात्रि को महिलाओं के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएँ अपने पति के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं व अविवाहित महिलाएं भगवान शिव, जिन्हें आदर्श पति के रूप में माना जाता है जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं।
जानिए, बांग्लादेश में कौन और मनाते हैं महाशिवरात्रि?
बांग्लादेश में भी महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है। यहाँ रहने वाले हिंदुओ के द्वारा ये महापर्व मनाया जाता है। ये लोग भगवान शिव के दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने की उम्मीद में व्रत भी रखते हैं। कई बांग्लादेशी हिंदू इस खास दिन पर चंद्रनाथ धाम (चिटगांव) भी जाते हैं। बांग्लादेशी हिंदुओं की मान्यता है कि इस दिन व्रत व पूजा करने वाले स्त्री/पुरुष को अच्छा पति या पत्नी मिलती है। इस वजह से ये पर्व यहाँ खासा प्रसिद्ध है।
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