NCL यानि, नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड। यह एक मिनी रत्न कोयला कंपनी है। फिलहाल, मिनी रत्न NCL कोल इंडिया (CIL) की अनुषंगी कंपनी है। NCL को मिनी रत्न कंपनी का दर्जा कब और कैसे मिला, यह जानने से पहले मिनी रत्न NCL से जुड़ी अन्य कई ऐसी जानकारियों को जानना आवश्यक है, जो NCL को मिनी रत्न तक के ताज तक पहुंचने में अहम थी।
NCL का गठन नवंबर 1985 में किया गया था। पहले NCL को सिंगरौली कोलफील्ड के नाम से जाना जाता था और यह सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के अंतर्गत था। ऐसे में इसका अलग से गठन होने के बाद सिंगरौली कोलफील्ड को NCL के अंतर्गत आ गया। मिनी रत्न NCL का मुख्यालय मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में है।
जानिए, सिंगरौली कोलफील्ड्स (singrauli coalfields) के बारे में
सिंगरौली कोलफील्ड्स का क्षेत्रफल लगभग 2202 वर्ग किमी है। इस कोलफील्ड्स को दो बेसिनो में बाटा गया है, मोहर सब-वेसिन (312 वर्ग किमी) और सिंगरौली मेन बेसिन (1890) वर्ग किमी) सिंगरौली कोलफील्ड्स (singrauli coalfields) में एनसीएल के पास 10,06 बीटी (मोहर सब बेसिन में 663 बीटी और मेन बेसिन में 3.23 बीटी) का भूवैज्ञानिक कोयला भंडार है। इसमें से एनसीएल ने मोहर सब बेसिन से करीब 196 बीटी निकाला है।
ऐसे मिला मिनी रत्न का दर्जा
NCL (एनसीएल) के सभी कोयला खनन कार्य वर्तमान में 10 ओपनकास्ट खानों के माध्यम से मोहर सब–बेसिन में केंद्रित है। सिंगरौली कोयला क्षेत्री के पश्चिमी भाग में स्थित है और काफी हद तक मुख्य बेसिन अनोपन रहित है। NCL वर्ष 2007 से एक मिनी रत्न (श्रेणी-1) कंपनी है और भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के तहत कोल इंडिया लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
शुरू से अब NCL का सफर शार्ट में
मिनी रत्न बनने के पहले NCL के गठन के समय इसका कोयला उत्पादन 1986-87 में 13.60 मिलियन टन था। अब इस मिनी रत्न NCL की कोयला उत्पादन क्षमता बढ़कर वर्ष 2021-22 में 122.43 मिलियन टन तक पहुँच गई है। जबकि वर्ष 2022-23 तक 122 मिलियन टन के लक्ष्य को पूरा करने की योजना है।
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