देश में कुल 29 कोयला खानों की नीलामी सफलतापूर्वक हो गई है। इसमें मध्यप्रदेश की कई कोयला खदाने भी शामिल है और सिंगरौली जिले की डोंगरी ताल-II की खदान भी शामिल है, जो कि महावीर कोल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित हुई है।
कोयला मंत्रालय ने 3 नवंबर 2023 को 6वें दौर और 5वें दौर के दूसरे प्रयास के अंतर्गत वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खदानों की नीलामी शुरू की थी, जो कि वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी की सबसे बड़ी खेप है। नीलामी की प्रक्रिया समाप्त होने पर इसमें आवंटित खदानों की जानकारी भी साझा की गई है।
देखिए, आवंटित खदानों की जानकारी
जानिए, इन कोयला खदानों के बारे में
22 कोयला खदानों (Coal Mines) का पूरी तरह से कोयला खदानों के रूप में पता लगाया जा चुका है और 7 कोयला खदानें आंशिक रूप से कोयला खदानों के रूप में चिन्हित की जा चुकी हैं। इन 29 कोयला खदानों के लिए कुल भूवैज्ञानिक भंडार लगभग 8160 मिलियन टन है। इन कोयला खदानों के लिए कुल पीआरसी 74.96 एमटीपीए (आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों को छोड़कर) है। इस दौर में पहली बार बड़ी संख्या में बोली लगाने वालों और 22.12 प्रतिशत की औसत राजस्व हिस्सेदारी के साथ नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली है। यह कोयला खनन क्षेत्र में निरंतर रुचि और भारत में कोयला खनन के स्थिर भविष्य का प्रमाण है। इससे यह भी पता चलता है कि वाणिज्यिक कोयला खनन की शुरुआत के माध्यम से सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में लाए गए सुधारों को उद्योग द्वारा अच्छी तरह से प्राप्त किया गया है।
नई खदानों से रोजगार व राजस्व आदि के फायदे
इन कोयला खदानों (Coal Mines) से कोयले के उत्पादन से आयातित थर्मल कोयले की मांग में काफी कमी आएगी और सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनियों पर निर्भरता भी कम होगी। वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी समाज के लिए रोजगार सृजन और कोयला वाले क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के रूप में महत्व प्रदान करेगी और 14,650 करोड़ रुपये से अधिक के वार्षिक राजस्व (आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों को छोड़कर) के साथ राज्यों के राजस्व में एक बड़ा योगदान देगी। इन कोयला खदानों के पीआरसी पर गणना की गई। आशा है कि इन नीलामियों के परिणामस्वरूप लगभग 11,250 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश होगा और लगभग 1,00,000 लोगों के लिए रोजगार सृजन होगा।
देश मे कोयले की जरूरत का 7% देंगे ये खदाने
इन कोयला खदानों (Coal Mines) का मुद्रीकृत मूल्य 71,192 करोड़ रुपये वित्त मंत्रालय द्वारा निर्धारित लक्ष्य से अधिक है। एक बार चालू होने के बाद ये खदानें देश की कोयले की आवश्यकता के 7 प्रतिशत से अधिक का योगदान देंगी।
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