हिस्ट्रीशीटर ज़ुबैर मौलाना की जबरन दाढ़ी-मूंछ मुंडवाकर निकाला गया जुलूस, हाईकोर्ट ने पुलिस पर उठाए सवाल, मानवाधिकार आयोग को कार्रवाई के निर्देश |

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जबलपुर: Jabalpur News: भोपाल के कुख्यात अपराधी जुबैर मौलाना की दाढ़ी-मूँछ मुंडवाकर पुलिस द्वारा निकाले गए जुलूस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने जुबैर मौलाना की पत्नी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम आदेश सुनाया है। हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग को इस मामले में कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

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Jabalpur News: याचिका में कहा गया था कि जुबैर मौलाना भले ही हिस्ट्रीशीटर अपराधी है लेकिन वह भारत का नागरिक भी है जिसे संविधान से परे जाकर कोई सज़ा नहीं दी जा सकती। इसके खिलाफ जाकर भोपाल पुलिस ने जुबैर मौलाना की दाढ़ी-मूँछ मुंडवाकर उसका जुलूस निकाला था। याचिका में कहा गया कि पुलिस द्वारा जबरन दाढ़ी-मूँछ मुंडवाना इस्लाम में दी गई व्यवस्था के भी खिलाफ है और इस्लाम को मानने वाले के साथ यह एक बड़ी ज्यादती है।

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Jabalpur News: याचिका में पुलिस द्वारा निकाले गए जुलूस के वीडियो साक्ष्य भी पेश किए गए थे और कहा गया था कि इस मामले में मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत की गई थी लेकिन आयोग ने कोई कार्यवाही नहीं की। मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है और अब म.प्र. मानवाधिकार आयोग को मामले में कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

“जुबैर मौलाना की दाढ़ी मुंडवाना” क्यों विवाद में है?

यह इसलिए विवादित है क्योंकि पुलिस द्वारा जबरन उसकी दाढ़ी-मूँछ हटाई गई, जिसे याचिकाकर्ता ने इस्लामिक मान्यताओं और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।

क्या “जुबैर मौलाना का जुलूस निकालना” कानूनी था?

हाईकोर्ट ने इसे संविधान के विरुद्ध माना और कहा कि किसी भी आरोपी को बिना न्यायिक प्रक्रिया के इस तरह अपमानित नहीं किया जा सकता।

“मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग” को क्या निर्देश मिले हैं?

हाईकोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया है कि वह इस मामले की जांच कर उचित कार्यवाही करे, क्योंकि यह मामला मानवाधिकार हनन से जुड़ा है।

“पुलिस की इस कार्रवाई” पर कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?

कोर्ट ने कहा कि चाहे कोई अपराधी ही क्यों न हो, उसके साथ संविधान के अनुरूप ही व्यवहार होना चाहिए। इस तरह की कार्रवाई कानून की आत्मा के खिलाफ है।

क्या “जुबैर मौलाना की पत्नी की याचिका” स्वीकार हो गई है?

हाँ, हाईकोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लिया और मानवाधिकार आयोग को जांच के निर्देश देकर स्पष्ट किया कि इस तरह की घटनाएँ दोहराई नहीं जानी चाहिए।

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