इंदौर: Indore News: आत्महत्या जैसे गंभीर मामलों को लेकर अब सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की लापरवाही भारी पड़ सकती है। राज्य साइबर पुलिस ने अब आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस याने एआई के माध्यम से फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आत्महत्या से संबंधित पोस्ट्स पर सख्त नजर रखना शुरू कर दिया है। जैसे ही किसी भी यूजर द्वारा आत्महत्या जैसे शब्दों का उपयोग किया जाता है वैसे ही साइबर पुलिस को एक रेड अलर्ट प्राप्त होता है।
Indore News: दरअसल इस पहल की जिम्मेदारी इंदौर एसपी सब्यसाची श्रॉफ को सौंपी गई है, जो इस मिशन के नोडल अधिकारी हैं। एसपी श्रॉफ के पास जैसे ही मेटा से फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप पर आत्महत्या के संबंधित पोस्ट के होते ही इस संबंध में रेड अलर्ट आता है। जिसके बाद एसपी श्रॉफ द्वारा तुरंत संबंधित जिले की पुलिस को सतर्क करते हैं। साथ ही उस व्यक्ति की जानकारी जुटाकर संबंधित थाने को तुरंत कार्रवाई के निर्देश देते हैं। इस तकनीक और सतर्कता के मेल से अब पिछले 1 महीने में अब तक 09 से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा चुकी है जिसे एक बड़ी सफलता मानी जा रही है जिससे न सिर्फ आत्महत्याओं की संख्या में कमी आई है बल्कि समय पर मदद मिलने से कई परिवार उजड़ने से भी बच गए।
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Indore News: इस अभियान की निगरानी राज्य साइबर पुलिस के डीएसपी नरेंद्र सिंह रघुवंशी द्वारा की जा रही है जो इस पूरे अभियान के प्रभारी अधिकारी हैं। उनके सुपरविजन में आत्महत्या के मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाती है जिससे कई लोगों की जीवन मिला समाप्त होने से बची है।
सोशल मीडिया पर “आत्महत्या” से संबंधित पोस्ट करने पर क्या होता है?
अगर कोई यूज़र फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर “आत्महत्या” से जुड़ी भाषा या पोस्ट करता है, तो मेटा कंपनी द्वारा तुरंत राज्य साइबर पुलिस को रेड अलर्ट भेजा जाता है। इसके बाद स्थानीय पुलिस उस व्यक्ति से संपर्क कर मदद पहुंचाने का प्रयास करती है।
“आत्महत्या” जैसे शब्दों पर साइबर पुलिस कैसे नजर रखती है?
साइबर पुलिस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से एक निगरानी तंत्र बनाया है जो ऐसे संवेदनशील शब्दों को पहचान कर तुरंत अधिकारियों को अलर्ट करता है।
क्या पुलिस बिना अनुमति के किसी की सोशल मीडिया निगरानी कर सकती है अगर उसमें “आत्महत्या” शब्द है?
नहीं, यह निगरानी मेटा और साइबर पुलिस के बीच सहयोग से होती है और सिर्फ आत्महत्या जैसी आपात स्थिति के लिए की जाती है ताकि समय पर सहायता पहुंचाई जा सके।
क्या “आत्महत्या” जैसे पोस्ट करने पर कोई कानूनी कार्रवाई होती है?
यदि पोस्ट केवल मानसिक तनाव के संकेत हैं तो व्यक्ति को मदद और काउंसलिंग दी जाती है, लेकिन अगर पोस्ट किसी को उकसाने या झूठी सूचना देने के लिए किया गया हो, तो कानूनी कार्रवाई संभव है।
आत्महत्या से बचाव के लिए साइबर पुलिस की यह पहल कितनी सफल रही है?
इस पहल के जरिए पिछले 1 महीने में 9 से अधिक लोगों की जान बचाई गई है, जिससे इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है।