Mining Monitoring System: खनन निगरानी प्रणाली (एमएसएस) को 2016 में लागू किया गया जिसके बाद से यह परिचालन अवस्था में है।
खनन निगरानी प्रणाली एक उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली है जिसका उद्देश्य प्रमुख खनिजों की अवैध खनन को रोकने में राज्य सरकारों की मदद करना है। राज्य सरकारें सत्यापन करने के उद्देश्य से उन्हें प्रदान किए गए यूजर आईडी और पासवर्ड के माध्यम से एप्लीकेशन तक पहुंच सकती हैं। खनन पट्टा क्षेत्र सीमा से बाहर 500 मीटर के दायरे में उपग्रह चित्रों से प्राप्त किसी भी असामान्य भू-उपयोग का पता लगाया जाता है और अवैध खनन को रोकने के लिए राज्य सरकारों को ट्रिगर के रूप में चिह्नित किया जाता है।
खान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, 2016-17 से अबतक 950 ट्रिगर उत्पन्न किए गए हैं, 574 ट्रिगर सत्यापित किए गए हैं और उपरोक्त ट्रिगर के माध्यम से 80 अनधिकृत खनन गतिविधियों की पुष्टि हुई है।
ट्रिगर पर की गई कार्रवाई की विभिन्न स्तरों पर जांच की जाती है जैसे राज्य खनन एवं भूविज्ञान विभाग (डीएमजी), राज्य खनन सचिव, राज्य कार्यालय और आईबीएम का मुख्यालय कार्यालय और खान मंत्रालय, भारत सरकार आदि।
खनन निगरानी प्रणाली को लघु खनिजों के लिए अपनाने हेतु खनिज समृद्ध राज्यों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में राज्यों के कुल 179 अधिकारियों ने हिस्सा लिया। एमएसएस के लिए एक उपयोगकर्ता अनुकूल मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है। एमएसएस का मुख्य उद्देश्य आमजनों की भागीदारी, पूर्वाग्रह मुक्त कार्रवाई, त्वरित प्रतिक्रिया, पारदर्शिता और प्रभावी जांच सुनिश्चित करना है।
राज्य सरकारों को खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर अधिनियम) 1957 की धारा 23ग के अंतर्गत खनिजों के अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण को रोकने के लिए नियम बनाने की शक्तियां प्राप्त हैं।
खान पट्टा क्षेत्र के जियोकॉर्डिनेट्स का उल्लेख पर्यावरणीय स्वीकृति पत्रों में भी किया गया है जिनका उपयोग राज्य खनन एवं भूविज्ञान विभाग तथा उनके अधिकारियों द्वारा जीआईएस आधारित अनुप्रयोगों की सहायता से अवैध खनन मामलों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने देश में रेत खनन की पहचान से लेकर उपभोक्ताओं द्वारा इसके अंतिम उपयोग तक विनियमित करने के लिए सतत रेत खनन दिशानिर्देश 2016 और रेत खनन के लिए प्रवर्तन एवं निगरानी दिशानिर्देश (ईएमजीएसएम) 2020 जारी किया है। ईएमजीएसएम 2020 के अनुसार, परिवहन निगरानी को प्रभावी एवं उपयोगी बनाने के लिए सभी रेत परिवहन वाहनों (ट्रैक्टर/ट्रक) को विभाग के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिए और सभी रेत परिवहन वाहनों में जीपीएस उपकरण स्थापित होने चाहिए। सभी स्टॉकयार्ड सीसीटीवी के साथ वेटब्रिज से लैस होना चाहिए जिससे परिवहन की जा रही रेत की सही मात्रा का पता लगाया जा सके।
ईएमजीएसएम 2020 में अवैध खनन की रोकथाम से संबंधित विस्तृत प्रावधान भी शामिल किए गए हैं और इसमें एक निगरानी संरचना भी है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ अवैध खनन के कारण पर्यावरणीय क्षति के लिए मुआवजे का निर्धारण, अंतर-जिला या अंतर-राज्य सीमावर्ती खनन की निगरानी, कुछ क्षेत्रों में रेत खनन की रोकथाम, खनन गतिविधियों और जिले में खनिजों के आवागमन की नियमित निगरानी रखने के लिए जिला स्तरीय कार्य बल का गठन शामिल है। राज्य सरकारों पर अवैध खनन को रोकने के लिए उपर्युक्त प्रावधानों को लागू करने की जिम्मेदारी है।
खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर अधिनियम) 1957 की धारा 23ग राज्य सरकारों को अवैध खनन को रोकने के लिए नियम बनाने की शक्तियां प्रदान करती है और राज्य सरकारें सरकारी राजपत्र में अधिसूचना जारी कर खनिजों के अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण को रोकने तथा उससे जुडे़ उद्देश्यों के लिए ऐसे नियम बना सकती हैं। इस प्रकार, अवैध खनन का नियंत्रण राज्य सरकारों के विधायी एवं प्रशासनिक कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आता है। उपर्युक्त के अलावा, खान मंत्रालय, भारत सरकार ने खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर अधिनियम) 1957 और उसके बाद किए गए संशोधनों में अवैध खनन को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन पहलों में एमएमडीआर अधिनियम 2015 और 2021 में किए गए संशोधन शामिल हैं, जिसमें सजा में बढ़ोत्तरी, कारावास की अवधि बढ़ाने, अवैध खनन की परिभाषा को स्पष्ट करने और अवैध खनन संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए विशेष अदालतों का प्रावधान शामिल है।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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